Patna: कोरोना वायरस का फैलाव रोकने को लेकर राज्य के प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर तक क्वारंटाइन कैम्प खोले गए थे. बस या श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आने वाले सभी लोगों को इन कैम्पों में रखा गया. लेकिन अब देश के अन्य राज्यों से आने वालों को रखने के लिए बने क्वारंटाइन कैम्प 15 जून से बंद हो जाएंगे. बीते 29 अप्रैल से शुरू सूबे के सभी 534 प्रखंडों में 15 हजार से अधिक क्वारंटाइन कैम्प खोले गए. इन कैम्पों में 15 लाख 22 हजार से अधिक लोगों को रखा गया. 31 मई को आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी आदेश के मद्देनजर इन कैम्पों को बंद कर दिया जाएगा.
दरअसल गत 21 मई को विभाग ने निर्णय लिया कि देश के 11 शहरों सूरत, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, दिल्ली, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरूग्राम (गुड़गांव), नोएडा, कोलकाता और बंगलूरू से आने वालों को ही क्वारंटाइन कैम्प में रखा जाएगा. बाकी शहरों से आने वालों में कोई लक्षण नहीं पाए जाने पर उन्हें होम क्वारंटाइन किया गया.
इसी बीच केंद्र सरकार ने एक जून से सामान्य ट्रेनों का भी परिचालन शुरू करने का निर्णय लिया. इस कारण 31 मई को बिहार सरकार ने निर्णय लिया कि श्रमिक स्पेशल को छोड़ बाकी ट्रेनों से आने वालों को कैम्पों में नहीं रखा जाएगा. क्वारंटाइन कैम्प बंद करने के निर्णय के बाद बिहार में दो-चार श्रमिक स्पेशल ट्रेनें ही आई है. शनिवार को राज्य के एक हजार कैम्पों में लगभग 20 हजार लोग रह रहे थे जिन्हें 15 जून के बाद होम क्वारंटाइन में भेज दिया जाएगा.
क्वारंटीन कैम्पों में रहने के दौरान लोगों को सरकार की ओर से सुबह का नाश्ता और दोपहर व रात में खाना दिया गया. छह साल के बच्चों से लेकर सभी व्यस्कों को सुबह-शाम दूध दिया गया. कैम्पों में पेयजल, अस्थायी शौचालय के अलावा हरेक व्यक्ति को मास्क व सैनिटाइजर दिया गया. प्रवासियों को नहाने व कपड़ा धोने के लिए एक-एक साबुन, शैम्पू का पाउच, केस तेल, कंघी, छोटा ऐनक, टूथपेस्ट व ब्रश भी दिया गया. हरेक को एक-एक बाल्टी, स्टील की थाली, कटोरी व ग्लास के अलावा मग व मच्छरदानी भी दिया गया. क्वारंटाइन पूरा होने पर श्रमिक अपने साथ यह सामान घर लेकर गए. इसके अलावा कैम्पों में रहने वाले पुरुषों को एक-एक लुंगी, धोती, गंजी व गमछा तो महिलाओं को साड़ी, साया, ब्लाउज और बच्चों को शर्ट-पैंट व बच्चियों को फ्रॉक-पैंट दिया गया. महिलाओं को अलग से सैनिटरी नैपकिन भी दी गई.
प्रवासी श्रमिकों को क्वारंटाइन कैम्प से जाते समय सरकार की ओर से रेल किराया के अलावा 500 रुपए अतिरिक्त दिए गए. अगर यह राशि एक हजार से कम हो रही है तो श्रमिकों को कम से कम 1000 दिए जा रहे हैं. श्रमिकों को हो रही परेशानी के मद्देनजर सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि दूसरे राज्यों का बैंक खाता होने पर भी उनके खाते में यह राशि दी जाएगी. आपदा सम्पूर्ति पोर्टल के माध्यम से अब तक दो लाख से अधिक लोगों के खाते में 20 करोड़ से अधिक राशि हस्तांतरित हो चुकी है.