जहानाबाद के मखदुमपुर थाना के आंकोपुर गांव निवासी मंटू शर्मा अब दिल्ली यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को इतिहास की शिक्षा देंगे। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू महाविद्यालय (सांध्य) में इतिहास के सहायक प्रोफेसर (स्थायी) के रूप में शुक्रवार को योगदान दिया। मंटू ने बताया कि विद्यार्थी से शिक्षक बनने का उनका यह सफर बहुत संघर्षपूर्ण रहा है, लेकिन कठिन परिश्रम और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की भूख ने उनके इस सफर को सुगम बना दिया।
भारतीय थल सेना में नायब सुबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए उनके पिता रामप्रवेश शर्मा और माता शामिनी देवी मंटू के जीवन की प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। मंटु ने बताया कि पिता से प्रेरित होकर ही वह सैनिक स्कूल, कपूरथला में गए थे और देश की सेवा करना चाहते थे। हालांकि, नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) के एसएसबी के अंतिम दौर में बाहर होने के बाद इतिहास के क्षेत्र में अपनी रुचि को प्राथमिकता दी और इसमें अपना करियर बनाने पर ध्यान लगाया।
उन्होंने बताया कि पिता से हमेशा मेहनत के लिए तैयार रहना सीखा है। वहीं, मां ने शिक्षा के क्षेत्र में पहचान बनाने के लिए प्रेरित किया। मां स्वयं बहुत पढ़ नहीं सकीं, इसलिए उनका सपना था कि बेटा शिक्षा के महत्व को समझे और समाज में वंचित बच्चों को भी शिक्षित करे।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज (सांध्य) से स्नातक में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए मंटु अभाविप की ओर से छात्र संघ चुनाव में जीतकर कॉलेज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मंटु ने इतिहास में ही दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से मास्टर्स किया। वर्तमान में वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही बौध अध्ययन में पीएचडी भी कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वह समाज में शिक्षा और स्वच्छ राजनीति से बदलाव लाना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने छात्र संघ राजनीति में सक्रिय होने के बावजूद कभी इसका असर अपनी शिक्षा पर नहीं पड़ने दिया। मंटु ने बताया कि शिक्षा ही वह अस्त्र है जिससे समाज के हर वर्ग के जीवन को बदला जा सकता है।
इतिहास में रुचि को लेकर मंटु ने बताया कि इतिहास से ही उन्होंने पूर्व के अनुभवों से बेहतर बनते रहना सीखा है। इसकी शिक्षा का उद्देश्य हमें एक बेहतर समाज बनाना और अपने बारे में जानना है कि हम क्या थे और आज क्या हैं ताकि हम अपना कल इन अनुभवों के अनुसार तैयार कर सकें।