Desk:राज्य के स्कूलों में पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्थानों के अंतर्गत 2006 से 2015 तक नियुक्त शिक्षकों में से करीब 11 हजार को दोबारा निगरानी जांच के लिए अपने नियोजन फोल्डर देने होंगे। अब तक निगरानी जांच को 88 हजार शिक्षकों के प्रमाणपत्र शिक्षा विभाग के माध्यम से निगरानी विभाग को नहीं दिये जा सके हैं। ये 11 हजार शिक्षक उनके अतिरिक्त हैं।
जानकारी के मुताबिक, पटना हाईकोर्ट के आदेश पर करीब साढ़े चार साल से चल रही नियोजित शिक्षकों की डिग्रियों की जांच को लेकर 2006 से 2015 तक नियुक्त होने वाले तीन लाख दस हजार शिक्षकों में से 2.07 हजार शिक्षकों के फोल्डर जिला शिक्षा कार्यालयों के मार्फत निगरानी जांच टीम को दिये जा चुके थे। मार्च 2021 तक 1.03 लाख शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले थे।
इसके बाद विभाग ने जब सख्ती की तो 15 हजार और शिक्षकों के प्रमाणपत्र जांच के लिए सौंपे जा सके। इसके बाद सिर्फ 88 हजार शिक्षक जांच से बाकी थे, जिनकी सूची जिलावार एनआईसी की वेबसाइट पर अपलोड की जा चुकी है। ऐसे शिक्षकों को अपने तमाम शैक्षिक-प्रशैक्षिक प्रमाण पत्र विभाग द्वारा तैयार कराए गए वेब-पोर्टल पर 21 जून से 20 जुलाई तक अपलोड करने हैं।
इस बाबत गुरुवार को विभाग ने आदेश निर्गत किया है। इस बीच विभाग को मिली जानकारी के मुताबिक जिन 2.07 लाख शिक्षकों के नियोजन फोल्डर निगरानी को दिये जा चुके थे, जांच के क्रम में पाया गया कि वे पूरे नहीं हैं। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक इन 11 हजार शिक्षकों में से कुछ तकनीकी कारणों से तो कुछ के अधूरे प्रमाण पत्रों के कारण दोबारा इन शिक्षकों को यह पूरी कवायद करनी पड़ेगी।
88 हजार शिक्षकों को करना होगा ये काम
बिहार के सरकारी विद्यालयों में पंचायती राज तथा नगर निकाय नियोजन इकाइयों द्वारा बहाल ऐसे शिक्षक, जिनके प्रमाण पत्रों की निगरानी जांच नहीं हुई है, उनके लिए राज्य सरकार ने अंतिम मोहलत के रूप में एक माह का समय दिया है। ऐसे शिक्षकों की संख्या 88 हजार है। इन्हें इसी माह 21 जून से 20 जुलाई तक अपने प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग द्वारा एनआईसी की मदद से बनाए गए वेब पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। ऐसा नहीं करने वाले शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध मानते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। साथ ही उनको अबतक प्राप्त वेतन की राशि भी उनसे लोकमांग वसूली अधिनियम प्रावधान के तहत वसूल की जाएगी।