Desk: कोरोना संक्रमण के बीच इंटरमीडिएट और मैट्रिक परीक्षा में सोशल डिस्टेंसिंग बड़ी चुनौती होगी। परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था और संसाधनों में कोरोना गाइडलाइन का पालन कराना केंद्र व्यवस्थापक के लिए आसान नहीं होगा। एक बेंच पर दो बच्चों के बीच 2 गज की दूरी तो मेंटेन हो जाएगी, लेकिन आगे-पीछे बैठने वाले परीक्षार्थियों की दूरी मेंटेन की गई तो फिर सेंटर में कमरे कम पड़ जाएंगे।
इतना ही नहीं अधिक तापमान वाले बच्चों को अलग कमरे में बैठने की भी व्यवस्था करनी है। ऐसे में परीक्षा केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग के गणित को हल करना परीक्षा केंद्रों के लिए मुश्किल होगा। परीक्षा केंद्रों पर अधिक कमरों की व्यवस्था करनी होगी।
स्कूल खुले लेकिन सैनिटाइजेशन का नियम नहीं
सैनिटाइजेशन की जो गाइडलाइन है उसका पालन कराने में भी केंद्र व्यवस्थापक के लिए परेशानी खड़ी होगी। हर पाली के पहले सैनिटाइजेशन करना आसान नहीं होगा। 4 जनवरी को स्कूल खोला गया तो भी यही निर्देश था, लेकिन स्कूलों में भी इस नियम का पालन नहीं किया जा सका। हर बच्चे का हाथ सैनिटाइज कराना और और फिर कमरों को सैनिटाइज कराना बड़ी चुनौती होगी।
थर्मल स्कैनिंग के साथ बुखार वालों की अलग व्यवस्था
एक-एक बच्चे की थर्मल स्कैनिंग करना और फिर अधिक तापमान वाले बच्चों को अलग बैठाना भी आसान नहीं होगा। हर परीक्षा केंद्र पर इसकी अलग से व्यवस्था करनी होगी। अब सवार यह है कि एक परीक्षा केंद्र पर कितने थर्मल स्कैनर दिए जाएंगे जिससे कम समय में सभी परीक्षार्थियों का बुखार नापा जा सके। स्कूल खोले गए तो इसी शर्त पर खोले गए थे कि हर बच्चे की थर्मल स्कैनिंग कराई जाएगी। लेकिन अब स्कूलों में भी इसका पालन नहीं हो पा रहा है।
संसाधनों की कमी के कारण ही दो पाली का इंतजाम
परीक्षा के दौरान संसाधन नहीं होने के कारण ही सेंटरों पर दो पालियों में परीक्षा ली जाती है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के कारण अब हर शिफ्ट में संसाधन जुटाना बड़ी समस्या होगी। एक बेंच पर दो छात्र होंगे लेकिन पिछली और अगली बेंच पर बैठा छात्र कितनी दूरी पर होगा यह बड़ा सवाल है।
टॉयलेट को लेकर भी बड़ी समस्या
कोरोना को लेकर टॉयलेट की साफ-सफाई के साथ सैनिटाइजेशन की व्यवस्था का निर्देश है। एक केंद्र पर इतने टॉयलेट भी नहीं होते हैं जिससे छात्रों की संख्या के आधार पर इसे मेंटेंन किया जा सके। ऐसे में परीक्षार्थियों को खुद कोरोना से बचाव को लेकर गंभीर होना होगा। हालांकि बिहार बोर्ड ने जो व्यवस्था बनाई है उसका अगर सही ढंग से पालन हो तो संक्रमण की संभावना नहीं होगी, लेकिन इसमें संसाधन की कमी बाधा बन सकती है।