राधे-राधे के नाम से गूंजा तेजप्रताप का घर, आयोजन में आने की मनाही नहीं बस कैमरा मत चमकाइएगा

राधे-राधे के नाम से गूंजा तेजप्रताप का घर, आयोजन में आने की मनाही नहीं बस कैमरा मत चमकाइएगा

Desk: पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद का पूरा परिवार उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अपने सरकारी आवास पर सात दिवसीय भागवत कथा करवा रहे हैं। इसके लिए आवास के मुख्य गेट पर तोरण द्वार बनाया गया है। आयोजन स्थल पर पंडाल लगाया गया। पूरे आवास का माहौल भक्तिमय है।

तोरण द्वार के एक तरफ तेजप्रताप यादव की फोटो बांसुरी बजाते हुए और दूसरी तरफ भागवत कथा वाचक मुकेश भारद्वाज की फोटो लगी है। मुख्य गेट से लेकर अंदर कार्यक्रम स्थल तक खूबसूरत सजावट की गई है। लाइटिंग भी देखने लायक है। आयोजन स्थल पर किसी को भी आने-जाने पर टोका-टाकी नहीं है। हां शर्त यह कि अंदर फोटो नहीं लेना है। मीडिया कर्मी भी अगर आए तो वे बैठकर आराम से गीता पाठ सुनें। भजन सुनें। राधा-रानी पर गाए हुए खूबसूरत गीत सुनें। फोटो नहीं खीचें। यानी खबर ना बनाएं।

हर दिन आयोजन शुरू होने से पूर्व वृंदावन से आए कथा वाचक मुकेश भारद्वाज को तेजप्रताप खुद से तिलक लगाते हैं और गेंदें की माला पहनाते हैं। बैठने के लिए जमीन पर गद्दा-चादर डाला गया है। तेज प्रताप यादव के बैठने की जगह भी मंच के बिल्कुल सामने है। पालथी के दोनों तरफ तकिया भी है। मंच बहुत ऊंचा नहीं है, इसलिए सामने से देखने में सहूलियत है। मंच पर भी भागवत कथा का फ्लैक्स लगा है। इस पर भी एक तरफ तेजप्रताप यादव का बांसुरी बजाते हुए बड़ा फोटो है। वे सिर की लाल पगड़ी में मोर पंख लगाए दिखते हैं। कुर्ता और पीले रंग की धोती में वे हर दिन शाम के समय आरती उतारते हैं।

ठंड का समय है इसलिए कत्थई रंग का ऊनी चादर कंधे पर डाले रहते हैं। जब मंच के सामने बैठकर भागवत कथा सुन रहे होते हैं तो सामने मोबाइल और माइक भी रखा रहता है। पूरे आयोजन की विडियोग्राफी करायी जा रही है। फोटो सिर्फ उनका अपना फोटोग्राफर ही लेता हुआ दिखता है। आवास के मेन गेट से कोई घुसे और उसके पास किसी का फोन आ गया तो गेट के बाहर जाकर बात कीजिए, नहीं तो गार्ड टोकते हुए कहेगा कि यहां शांति बनाए रखिए।

मंच पर रखी गीता पर फूलों की माला हर दिन चढ़ाई जाती है। लोग भक्ति भाव में हाथ उठा कर कई बार झूमते दिखते हैं। तेजप्रताप की आस्था है कि भागवत कथा से उनके पिता लालू प्रसाद की तबियत ठीक हो सकती है। यहां आने वाला हर व्यक्ति उनके इस भाव को समझता है और मन ही मन प्रार्थना भी करता है। यहां आए हर व्यक्ति को राधा-कृष्ण को भोग लगा प्रसाद भी दिया जाता है।

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