Patna: जिस कोरोना ने राम बाबू को उनकी पत्नी सोनी से अलग कर दिया था उसी वायरस को मात देने के लिए वह वैक्सीन का पहला डोज लेने जा रहे हैं। पहला डोज लेने के लिए जब नाम आया तो आंखें डबडबा गईं। बातचीत में राम बाबू ने कहा आंखों के सामने वह मंजर नाचने लगता है जब वह कोरोना कहर की बात सोचते हैं। एक तरफ घर में संक्रमित पत्नी थी और दूसरी तरफ अस्पताल की बड़ी जिम्मेदारी। कई दिनों तक पत्नी से इसलिए दूरी बनाए रखा ताकि संक्रमण अस्पताल तक नहीं पहुंचे। एक ही घर में रहने के बाद भी वह सोनी से मोबाइल पर बात करते थे। राम बाबू के इसी त्याग ने कोरोना को बड़ी चोट दी है। आज वह खुद अपने आप में इतिहास बनकर सामने आ रहे हैं।
कोरोना काल में हर जिम्मेदारी को निभाया
IGIMS में लंबे समय से सफाई का काम करने वाले राम बाबू उर्फ विक्की का छोटा सा परिवार है। घर में पत्नी और तीन बच्चे हैं। बड़ी बेटी 8 साल की है जबकि साढ़े 4 और ढाई साल के हैं। कोरोना काल में अस्पताल की ड्यूटी के साथ परिवार की सुरक्षा उनके सामने बड़ी चुनौती थी। राम बाबू का कहना है कि संक्रमण काल में वह कभी अस्पताल से छुट्टी नहीं लिए। मूल रूप से खगौल के कोथव नयन चक निवासी राम बाबू का कहना है कि गांव पर कितना भी जरुरी काम होता था वह मरीजों की समस्या सोचकर घर नहीं जाते थे।
अस्पताल और परिवार के बीच सुरक्षा की दीवार
मरीजों की सेवा में कोई बाधा नहीं आए इस कारण से वह खुद भी कोरोना को लेकर काफी सावधान रहते थे। राम बाबू का कहना है कि कोरोना के डर से वह पत्नी बच्चों के बहुत करीब नहीं जाते थे। वह खुद भी संक्रमण को लेकर काफी गंभीर रहते थे, समय समय पर अपनी जांच कराते रहते थे। परिवार संक्रमित न हो इस कारण से अस्पताल और परिवार के बीच खुद को एक निश्चित दूरी बनाकर रखते थे।
पत्नी संक्रमित हुई तो डर गया था राम बाबू
राम बाबू का कहना है कि जब उनकी पत्नी सोनी संक्रमित हुईं तो वह डर गए थे। डर इस बात का था कि कहीं पूरा परिवार न संक्रमित हो जाए। लेकिन इस डर को उन्होंने हिम्मत से मात दिया। वह घर से लेकर अस्पताल तक पत्नी बच्चों के साथ मरीजों की सेवा करते हुए हर वक्त कोरोना से लड़े। पत्नी ने जब कोरोना को मात दिया तो उनकी हिम्मत और बढ़ गई। इसके बाद वह और जी जान लगाकर अस्पताल का काम करने लगे।
कभी सोचा भी नहीं था पहली डोज पड़ेगी
राम बाबू ने कभी सोचा भी नहीं था कि कोरोना वैक्सीन की पहली डोज उन्हें पड़ेगी। वह अन्य सफाई कर्मियों की तरह अपना रजिस्ट्रेशन भी Co-Win पोर्टल पर कराए थे। जब पता चला कि उन्हें पहली डोज पड़ेगी, वह खुशी से उछल पड़े। घर वालों को फोनकर सूचना दी कि उन्हें कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगने वाली है। राम बाबू का कहना है कि कोरोना के खिलाफ तो वह पहले ही दिन से लड़ाई लड़ रहे हैं। कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लेने को लेकर वह काफी उत्साहित हैं। उनका कहना है कि वह इस ऐतिहासिक पल को जीकर खुद को काफी खुश किस्मत मान रहे हैं। उन्होंने लोगों को भी संदेश दिया कि कोरोना को मात देने का समय आ गया है। बस थोड़े दिन की और लड़ाई है, कोरोना देश से मात खाकर जाएगा।
दूसरा टीका लेने वाले अमित ने भी कोरोना की लड़ाई में परिवार से बनाई थी दूरी IGIMS में चार साल से
एम्बुलेंस चलाने वाले अमित को 16 जनवरी को राम बाबू के बाद दूसरा टीका पड़ेगा। वह प्रदेश में वैक्सीन की दूसरी डोज लेने वाले हेल्थ वर्कर बनेंगे। अमित की कहानी भी राम बाबू की तरह ही है। वह भी कोरोना काल में परिवार से इसलिए दूर रहे ताकि संक्रमण को घर तक नहीं पहुंचे। बातचीत में अमित ने बताया कि वह कोरोना काल में दो सौ से अधिक मरीजों को IGIMS से NMCH और AIIMS पटना लेकर गए हैं। अमित का कहना है कि वह 22 मार्च से लगातार इस सेवा में लगे हैं। संक्रमितों की जान बचाने के साथ वह परिवार को सुरक्षित रखने में हमेशा सावधान रहे। घर में जाते थे लेकिन परिवार वालों से दूरी बनाकर रहते थे। पत्नी बीना कुमारी ही नहीं तीन छोटे-छोटे बच्चों से भी काफी दूरी बनाकर रहते थे। बच्चों को दूर से ही पुचकारते थे, वह जानते थे पास आने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इस सावधानी के कारण वह ना तो खुद संक्रमित हुए और ना ही परिवार का कोई सदस्य कोरोना पॉजिटिव हुआ। अमित का कहना है कि कोरोना ने पूरे देश को परेशान किया है। बहुत कुछ छीना है। वह प्रदेश ही नहीं देश को भी यह संदेश देना चाहते हैं कि वैक्सीनेशन से इस वायरस को देश से बाहर किया जाए। अमित का कहना है कि उन्हें बहुत खुशी है कि वह प्रदेश में वैक्सीन की दूसरी डोज उन्हें लगेगी। वह काफी खुश और उत्साहित हैं। उनका पूरा परिवार इस बात से काफी खुश है कि कोरोना के काल में लड़ने वाले आज कोरोना के लिए काल बन रहे हैं।