फिर से एक बार रेड जोन में पटना, दिनोंदिन खराब होती जा रही स्थिति

फिर से एक बार रेड जोन में पटना, दिनोंदिन खराब होती जा रही स्थिति

Patna: पटना में प्रदूषण की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है। फिलहाल पटना प्रदूषण के मानकों के अनुसार रेड जोन (Red Zone) में आ गया है, यहां की हवा में सूक्ष्म धूलकण (Small or Nano Particle of Dust) की मात्रा मानक से 6 गुना ज्यादा बढ़ गई है । वर्तमान में राजधानी की हवा में 358 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर सूक्ष्म धूलकण तैर रहे हैं। यह मानव जीवन के लिए बेहद खतरनाक (Dangerous) संकेत है। सामान्यतः हवा में 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर सूक्ष्म धूलकण अध्ययन की मात्रा होनी चाहिए, इससे कम हो तो और बेहतर। लेकिन पटना में फिलहाल 300 का आंकड़ा पार कर गया है।

अस्‍थमा और सांस के मरीजों के लिए घातक

यह स्थिति सांस के मरीजों के लिए बेहद घातक (Harmfull) है। खासकर अस्थमा के मरीज इस समय काफी परेशान हैं। अगर इसी तरह शहर की हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती रही तो स्वस्थ व्यक्ति भी जल्द ही बीमार हो सकता है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार घोष का कहना है कि जाड़े के समय वातावरण (Environment) में शुगर की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है। इसका मुख्य कारण है शहर की सड़कों पर पड़ी धूल की मोटी परत, वाहनों का परिचालन एवं हवा में नमी की मात्रा बढ़ना।

वातावरण में नमी बढ़ने से पड़ रहा असर

वर्तमान में हवा में नमी की मात्रा काफी बढ़ गई है। राजधानी की हवा में फिलहाल 70 से 80 फीसद तक नमी की मात्रा दर्ज की जा रही है। इससे वातावरण के ऊपरी भाग में धूलकण एवं नमी की एक चादर बन गई है, जो लोगों को परेशान कर रही है। बरसात के मौके पर बालू के कण जमीन बैठ जाते हैं, वही गर्मी के दिनों में धूलकण की मात्रा आकाश में बिखर जाती है। फिलहाल स्थिति काफी गंभीर हो गई है।

शहर की सड़कों पर फैला बालू हटाना जरूरी

अगर शहर की सड़कों से बालू की मोटी परत नहीं हटाई गई या सड़कों की साफ-सफाई पर नगर निगम (Patna Municipal Corporation) ने ध्यान नहीं दिया तो स्थिति और बिगड़ सकती है। प्रदूषण बोर्ड (Bihar State Pollution Board) का कहना है कि शहर में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन एवं नगर निगम को बार-बार निर्देश दिया गया है, परंतु प्रशासन की ओर से इसको नियंत्रित करने के लिए समुचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

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