DESK:नेता जब जनता से किए गए वादे पर खरे उतरने लगे तो वह लोगों के लिए भगवान बन जाता है. बिहार-बंगाल बॉर्डर (Bihar-Bengal Border) से सटे कटिहार के आजमनगर स्थित ‘मोदी मंदिर’ की कहानी भी कुछ इसी तरीके की है. दरअसल आजादी के बाद इस गांव में मूलभूत सुविधा के नाम पर भी कुछ नहीं था, लेकिन इस गांव के लोगों को मानें तो केंद्र की मोदी सरकार की विकास नीति के तहत ही गांव में पक्की सड़क से लेकर बिजली तक की व्यवस्था उपलब्ध हुई है.
धीरे-धीरे गांव में सुविधा का हर वह साधन उपलब्ध हो रहा है जो आमतौर पर गांव के लोग उम्मीद करते हैं. इसलिए यहां के लोग बगैर किसी राजनेताओं से सहयोग लेकर वर्षों पहले अपने ही गांव सिंघारोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का मंदिर बनवाया है. ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर अपने सहयोग से ही इस मंदिर को और भव्य बनाने का प्रण लिया है.
वैसे तो इस गांव में कई अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों में वोट देने वाले लोग एक साथ रहते हैं, लेकिन जब बात नरेंद्र मोदी की हो तो दीवानगी कुछ अलग ही है. स्थानीय ग्रामीण मुकेश कुमार कहते हैं कि आजादी के बाद पहली बार इस गांव में अब विकास की किरण दिखने लगी है. साथ ही लोग प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर बनने की नारा से बेहद प्रभावित हैं. लोगों की मानें तो अगर लोग आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करेंगे तो ग्रामीण अर्थ तंत्र को भी नई दिशा मिलेगी.
मुखिया लालन विश्वास कहते हैं कि गांव में विकास तो बहुत हुआ है फिर भी बर्थ-डे के दिन मोदी जी से रिटर्न गिफ्ट के तौर पर इस गांव के लिए एक विद्यालय की मांग रख रहे हैं ताकि गांव के बच्चे-बच्ची की पढ़ाई आसान हो जाए.