Patna: बिहार की राजधानी पटना स्थित नालंदा खुला विश्वविद्यालय (एनओयू) को जमीन नहीं मिली तो इसकी मान्यता खतरे में पड़ सकती है। हालांकि शुरुआत में सरकार ने दस एकड़ जमीन एलॉट किया है, लेकिन अब राज्य सरकार ने अतिरिक्त जमीन देने से इनकार कर दिया है। इस संबंध में विश्वविद्यालय को एक पत्र प्राप्त हुआ है। राज्य सरकार के इस इनकार के बाद एनओयू की मान्यता खतरे में पड़ सकती है। हालांकि पत्रचार जारी है।
ज्ञात हो कि किसी भी दूर शिक्षा संस्थान के लिए 40 एकड़ में निर्माण होना जरूरी होता है। इधर, नालंदा खुला विश्वविद्यालय द्वारा अतिरिक्त 30 एकड़ की जमीन की मांग जब की गई तो अब शिक्षा विभाग ने विवि प्रशासन को पत्र लिखकर कहा है कि प्रावधानों के अनुरूप 10 एकड़ से अधिक जमीन का आवंटन नहीं हो सकता। विभाग ने अपने पत्र में बिहार स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटीज एक्ट 2013 का हवाला देते हुए कहा है कि इस प्रावधान के अनुरूप ही जमीन का आवंटन किया गया है।
विवि प्रशासन ने इसपर आपत्ति जतायी है क्योंकि जिस एक्ट का हवाला शिक्षा विभाग द्वारा दिया गया है, वो सिर्फ प्राइवेट विश्वविद्यालयों के लिए है। जबकि नालंदा खुला विश्वविद्यालय कहीं से भी प्राइवेट विश्वविद्यालय नहीं है। यह बिहार सरकार द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय है।
इस संबंध में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संजय कुमार ने बताया कि पहले से जो 10 एकड़ की जमीन का आवंटन किया गया है। इसपर काम शुरू हो गया है। सबसे पहले प्रशासनिक भवन बनाया जा रहा है। कई बार विश्वविद्यालय की टीम साइट पर भ्रमण भी कर चुकी है। उन्होंने बताया कि नालंदा खुला विश्वविद्यालय की स्थापना ही नालंदा खुला विवि एक्ट के तहत 1987 में हुई थी। इसलिए यह कहीं से प्राइवेट विश्वविद्यालय नहीं है।
सवा लाख से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं
राज्य का इकलौता नालंदा खुला विश्वविद्यालय अकेला ऐसा विवि है, जिसमें दूर शिक्षा के माध्यम से सवा लाख से अधिक विद्यार्थी शामिल हैं। नालंदा खुला विश्वविद्यालय की स्थापना के वक्त ही तय था कि इसकी स्थापना नालंदा जिले में होगी, जिसके लिए प्रयास तो सालों से चल रहा है। हालांकि, प्रयास जमीन पर कुछ माह पहले उतरा।