Patna:पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का आज नई दिल्ली के आॅल इंडिया इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में निधन हो गया। वे आइसीयू (ICU) में वेंटिलेटर (Ventilator) पर थे ।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (lalu Prasad Yadav) तथा रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। बिहार की राजनीति में उनका 32 साल का साथ रहा। रघुवंश प्रसाद सिंह ने आरजेडी से अपने इस्तीफा पत्र में कोई कारण तो नहीं बताया है, लेकिन यह सवाल जरूर उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि इतनी गहरी दोस्ती अचानक टूट गई? सवाल यह भी है कि रघुवंश प्रसाद सिंह के इस बड़े कदम का आरजेडी पर क्या प्रभाव पड़ेगा? खास बात यह भी है कि वे बिहार की सियासत में नीतीश कुमार को महागठबंधन में आरजेडी के साथ देखना चाहते थे।
अलग-अलग होते दिख रहे लालू-रघुवंश के रास्ते
रघुवंश प्रसाद सिंह व लालू प्रसाद यादव की दोस्ती कर्पूरी ठाकुर के जमाने से रही। ये रघुवंश प्रसाद ही थे, जिन्होंने उस वक्त लालू को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने में मदद की थी। कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने ही लालू को आगे बढ़ाया। दोनों ने तब से अब तक राजनीति के हर दौर मे एक-दूसरे का साथ दिया। रघुवंश प्रसाद सिंह ने आरजेडी की स्थापना में भी अहम भूमिका निभाई। लेकिन वक्त का पहिया पूरा घूम चुका है। दोनों के रास्ते अब अलग होते दिख रहे हैं।
कभी आरजेडी में रही दूसरे लालू की हैसियत
आरजेडी में रघुवंश प्रसाद सिंह की हैसियत दूसरे लालू प्रसाद यादव की रही, लेकिन लालू के जेल जाने के बाद वे धीरे-धीरे पार्टी में हाशिये पर चले गए। तेजस्वी यादव के नए नेतृत्व के साथ उनका तालमेल नहीं बैठ सका। कई मुद्दों पर मतभेद उभरकर सामने आए। साल 2018-19 में तेजस्वी यादव ने सवर्ण आरक्षण के मामले में रघुवंश प्रसाद सिंह व तेजस्वी यादव एक-दूसरे के विरोध में दिखे। हालांकि, तेजस्वी नहीं झुके और रघुवंश को बैकुफुट पर जाना पड़ा। इसका परिणाम यह रहा कि लोकसभा चुनाव में आरजेडी को एक भी सीट नहीं मिली।
जगदानंद का किया विरोध, नहीं मिली तवज्जो
कालक्रम में जगदानंद सिंह आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। साल 2019 के लोकसभा चुनाव की हार के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का विरोध किया था, लेकिन तेजस्वी यादव की पसंद के कारण जगदानंद सिंह ही प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद जगदानंद सिंह ने अनुशासन के नाम पर जो नियम बनाए, उसका भी रघुवंश ने विरोध किया। इसके बावजूद जगदानंद सिंह की कार्यशैली बरकरार रही। इससे रघुवंश प्रसाद सिंह नाराजगी बढ़ती गई।
लालू ने नहीं भेजा राज्यसभा, उम्मीद पर फिरा पानी
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी की करारी हार के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह को राज्यसभा भेजे जाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लालू प्रसाद यादव ने एक करोड़पति व्यवसायी अमरेंद्र धारी सिंह और अपने पुराने राजदार प्रेमचंद गुप्ता को राज्यसभा भेजा। इससे रघुवंश को पार्टी में अपनी हैसियत का पता चला। इसके बाद रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी में और किनारे हो गए।
पार्टी में रामा सिंह की एंट्री की काेशिश
हाल के दिनों में आरजेडी में रघुवंश के प्रबल विरोधी रहे रामा सिंह की एंट्री की कोशिशें होने लगीं थीं। रामा सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर वैशाली से रघुवंश प्रसाद सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब रघुवंश प्रसाद सिंह की हार हुई थी। अपने राजनीतिक विरोधी को आरजेडी में लाने की कोशिश को रघुवंश पचा नहीं पाए। उन्होंने इसका विरोध करते हुए पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया। इस बीच रामा सिंह ने यह बयान दिया कि उनका आरजेडी में आना कोई नहीं रोक सकता है। रामा सिंह ने आरजेडी में रघुवंश प्रसाद सिंह के योगदान पर भी सवाल खड़े कर दिए। इस बयान के बाद भी तेजस्वी यादव ने चुप्पी साध ली। इससे रघुवंश और नाराज हो गए।
नीतीश को महागठबंधन में रखना चाहते थे रघुवंश
बीते लोकसभा चुनाव के पहले से रघुवंश प्रसाद सिंह नीतीश कमार के महागठबंधन में रहने तथा इसका मुख्यमंत्री चेहरा होने को लेकर बयान देते रहे हैं। यह बात तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य से जुड़ी हैं। महागठबंधन में नीतीश के रहते तेजस्वी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। हालांकि, रघुवंश प्रसाद सिंह नीतीश कुमार को तेजस्वी का राजनीतिक गुरु बनवाने की बात करते रहे। इस मसले पर लालू यादव की खामोश रहे और रघुवंश प्रसाद सिंह अकेले पड़ गए।
तेज प्रताप ने भी दिखाए तेवर, तेजस्वी ने साधी चुप्पी
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के तलाक के मामले में रघुवंश प्रसाद सिंह ने चंद्रिका राय और लालू परिवार के बीच रिश्ते बनाए रखने की बात कही। इससे तेज प्रताप यादव नाराज रहे। पार्टी में रघुवंश की नाराजगी को लेकर तज प्रताप यादव ने उन्हें आरजेडी के समंदर में केवल एक लोटा पानी बता हद कर दी। तेज प्रताप ने कहा कि अगर आरजेडी से रघुवंश का एक लोटा पानी निकल भी जाए तो कोई फक नहीं पड़ेगा। खास बात यह भी रही कि बीतेे कुछ सालों के दौरान रघुवंश के मामले में तेजस्वी यादव ने चुप्पी साधे रखी।
रघुवंश के इस्तीफा का पार्टी व लालू पर बड़े असर तय
रघुवंश प्रसाद सिंह के आरजेडी से जाने के बड़े मायने हैं। इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा है। राजनीतिक नुकसान के साथ यह लालू का व्यक्तिगत नुकसान भी है। आइए डालते हैं नजर लालू प्रसाइ यादव व दनकी पार्टी पर पड़ने वाले बड़े संभावित नुकसानों पर…
– आरजेडी के घोटालों वाली छवि के बीच रघुवंश पगसाद सिंह साफ चेहरा वाले नेता रहे। उनकी छवि सादगी भरे स्पष्टवादी व ईमानदार नेता की रही है। विधानसभा चुनाव के वक्त उनका पार्टी छोड़ना आरजेडी के लिए नुकसानदेह होगा, यह तय लग रहा है।
– रघुवंश प्रसाद आरजेडी में रामा सिंह की एंट्री के खिलाफ थे। वे पार्टी में आपराधिक छवि वाले लोगोे की एंट्री के खिलाफ थे। आपराधिक छवि के लोगों को संरक्षण देने के आरोपों से घिरे आरजेडी से रामा सिंह की एंट्री के विरोध में रघुवंश के इस्तीफा का भी बुरा असर पड़ेगा।
– चारा घोटाला में सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव के पास अब पहले वाली राजनीतिक ताकत नहीं बची। ऐसे में ठीक विधानसभा चुनाव के पहले रघुवंश जैसे बड़े नेता का आरजेडी से जाना लालू की शक्ति को कम करता दिख रहा है।
– रघुवंश अपमान का घूंट पीकर आरजेडी में लंबे समय तक रहे। इसके पहले लालू के करीबी रहे रामकृपाल यादव इस्तीफा देकर बीजेपी में चले गए थे। आरजेडी में वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा तथा उनका इस्तीफा नुकसान पहुंचा सकता है।
– रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफा के कारण आरजेडी को जातीय नुकसान भी हो सकता है।