Patna:आरजेडी को टा-टा बाय-बाय कर चुके रघुवंश प्रसाद सिंह अब नीतीश कुमार से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं. लालू के पत्र का जवाब दिए बगैर नीतीश को 3 लेटर लिखने वाले रघुवंश बाबू को लेकर बिहार के सियासी गलियारे में तरह-तरह की खबरें चल रही हैं. चर्चा है कि रघुवंश बाबू के बेटे सत्य प्रकाश सिंह को गवर्नर कोटे से एमएलसी बनाया जा सकता है. लेकिन फर्स्ट झारखंड ने रघुवंश बाबू के करीबी सूत्रों से जो बातचीत की है. उसके मुताबिक रघुवंश प्रसाद सिंह फिलहाल ऐसे किसी रास्ते पर चलने को तैयार नहीं दिख रहे हैं.
जानबूझकर जहर नहीं पियेंगे रघुवंश
रघुवंश प्रसाद सिंह भले ही मौजूदा वक्त में आरजेडी से दूर जाकर नीतीश कुमार के करीब नजर आ रहे हों लेकिन उन्हें पता है कि अगर उनके बेटे को विधान परिषद भेजा गया तो यह फैसला उनके लिए आत्मघाती साबित होगा. रघुवंश प्रसाद सिंह के नाराजगी आरजेडी के मौजूदा कार्यशैली को लेकर है. लालू प्रसाद यादव के साथ राजनीति करने वाले रघुवंश सिंह तेजस्वी यादव के नेतृत्व में कंफर्टेबल महसूस नहीं कर रहे थे. इसके अलावे आरजेडी में चर्चा है कि प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के वर्किंग स्टाइल से भी रघुवंश खफा थे. उन्होंने कई दफे सार्वजनिक के तरीके से इसे लेकर पार्टी के अंदर लोकतंत्र का सवाल भी उठाया था. ऐसे में अगर तेजस्वी यादव का विरोध करने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह अपने बेटे की पॉलिटिकल लॉन्चिंग कराते हैं तो यह जहर पीने के समान होगा. रघुवंश अपने कई दशकों की राजनीति को खत्म करने के लिए ऐसा कोई आत्मघाती कदम उठाने को तैयार नहीं दिख रहे हैं.
एक झटके में खत्म हो जायेगी राजनीति
रघुवंश प्रसाद सिंह ने पिछले दिनों जब पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था तो आरजेडी के अंदर भी उनके इस फैसले को लेकर पार्टी के नेताओं ने चुप्पी साध ली थी. आरजेडी में नेताओं का एक बड़ा तबका रघुवंश बाबू के साथ खड़ा माना जा रहा है. यही वजह है कि रघुवंश बाबू को लेकर कोई भी पार्टी का नेता मुखर तरीके से बयान बाजी नहीं कर रहा. रघुवंश बाबू भी इस बात को भलीभांति समझते हैं कि अगर उन्होंने आदर्श की राजनीति छोड़कर व्यक्तिगत या पारिवारिक हित वाली राजनीति का रुख किया तो उन्हें समर्थन मिलना बंद हो जाएगा. ऐसे में अपने परिवार से किसी सदस्य या अपने बेटे को राजनीति में लाने और उसे विधान पार्षद बनाने की नहीं करेंगे. वह इस बात को भलीभांति समझ रहे हैं कि उनका यह कदम एक झटके में दशकों पुरानी उनकी राजनीति को खत्म कर देगा.
लालू-तेजस्वी को मिल जाएगी राहत
आरजेडी छोड़ने के बावजूद रघुवंश प्रसाद सिंह सधी हुई राजनीतिक चाल के साथ कदम आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने भले ही आरजेडी को छोड़ा हो लेकिन फिलहाल वह किसी राजनीतिक दल को ज्वाइन नहीं करने जा रहे. नीतीश कुमार को पत्र लिखा जाना रघुवंश बाबू की राजनीति का एक बड़ा हिस्सा है लेकिन लालू प्रसाद यादव ने जिस तरह रघुवंश बाबू को पत्र लिखा है. उसके बीच उनकी चुप्पी भी मायने रखती है.
रघुवंश बाबू इस बात को भी समझ रहे हैं कि अगर उनके बेटे को एमएलसी बनाया गया तो लालू और तेजस्वी को बड़ी राहत मिल जाएगी. अब तक रघुवंश के मामले पर बैकफुट पर नजर आ रहे लालू यादव और उनके परिवार के पास अपने नेताओं कार्यकर्ताओं और वोटरों को यह बात समझाने के लिए हो जाएगी कि रघुवंश बाबू अपने बेटे को एमएलसी बनवाना चाहते थे. इसी वजह से उन्होंने नीतीश कुमार का साथ दिया. फिलहाल विधानसभा चुनाव के पहले रघुवंश बाबू ऐसी कोई राहत देने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं. लिहाजा उनके बेटे सत्य प्रकाश सिंह को एमएलसी बनाए जाने की खबरें राजनीतिक शिगूफेबाजी से ज्यादा कुछ भी नजर नहीं आ रही.