Patna: जाऊंगी तो राजधानी एक्सप्रेस से ही. यदि बस से जाना होता तो ट्रेन का टिकट क्यों लेती. बस से सफर कर रांची आती. टिकट राजधानी एक्सप्रेस का है तो इसी से जाऊंगी. टाना भगतों के आंदोलन से डालटनगंज स्टेशन पर फंसी राजधानी एक्सप्रेस में सवार अनन्या ने यह जिद पकड़ ली तो रेलवे अधिकारी भी परेशान हो गए. क्या करें, उन्हें समझ में नहीं आ रहा था. अंत में जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा.
राजधानी एक्सप्रेस शाम करीब चार बजे डालटनगंज से वापस गया ले जाकर गोमो और बोकारो होते हुए रांची के लिए रवाना करनी पड़ी. रात करीब 1.45 बजे ट्रेन रांची रेलवे स्टेशन पहुंची. ट्रेन में अनन्या इकलौती सवारी थी. 930 यात्रियों में 929 को रेलवे डालटनगंज से बसों से गंतव्य की ओर पहले ही रवाना कर चुकी थी. संभवत: रेलवे के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक सवारी को छोड़ने के लिए राजधानी एक्सप्रेस ने 535 किलोमीटर की दूरी तय की. डालटनगंज रेलवे स्टेशन के प्रबंधक अनिल कुमार तिवारी ने बताया कि वह मुगलसराय से रांची के लिए नई दिल्ली रांची स्पेशल राजधानी एक्सप्रेस में सवार हुई थी. अनन्या ट्रेन की बी-3 कोच में सवार थी. 51 नंबर सीट पर बैठी थी. अनन्या रांची के एचइसी कालोनी की रहने वाली हैं. वह बीएचयू में एलएलबी की पढ़ाई करती हैं.
अधिकारियों ने पहले सोचा, आंदोलन जल्द खत्म हो जाएगा
लातेहार जिला स्थित टोरी में टाना भगतों के रेलवे ट्रैक पर चल रहे आंदोलन की वजह से डालटनगंज में ट्रेन रोक दी गई. पहले तो अधिकारियों ने सोचा कि आंदोलन खत्म हो जाएगा तो ट्रेन रांची पहुंचा दी जाएगी. लेकिन आंदोलन खत्म नहीं हुआ तो रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को इसकी जानकारी दी गई. उन्होंने यात्रियों को बसों से रांची भेजने का आदेश दिया. ट्रेन डालटनगंज में ही खड़ी रखने का निर्देश दिया. सभी यात्री बस से चले गए लेकिन अनन्या अड़ गई.
कार से भेजने की बात भी नहीं मानी
रेलवे अधिकारियों ने अनन्या के समक्ष कार से रांची भेजने का प्रस्ताव रखा, लेकिन वह तैयार नहीं हुई. वह जिद पर अड़ी रही कि राजधानी एक्सप्रेस से ही रांची जाएगी. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को सारी बात बताई गई. विचार-विमर्श के बाद उन्होंने डीआरएम को निर्देश दिया कि अनन्या को राजधानी एक्सप्रेस से रांची भेजें. सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम हों.
535 किलोमीटर चली राजधानी एक्सप्रेस
ट्रेन को डालटनगंज से सीधे रांची आना था. डालटनगंज से रांची की दूरी 308 किलोमीटर है. मगर, ट्रेन को गया से गोमो व बोकारो होकर रांची रवाना करना पड़ा. इस तरह ट्रेन को 535 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी. अनन्या की सुरक्षा के लिए आरपीएफ की कई महिला सिपाही तैनात की गई थीं. रेलवे के एक वरीय अधिकारी के अनुसार, 25 वर्ष से वह रेलवे में कार्यरत हैं, लेकिन याद नहीं कि एक यात्री के लिए राजधानी ने 535 किलोमीटर की दूरी तय की.
मैंने साफ कह दिया था, गंतव्य तक तो छोडऩा होगा
तापस बनर्जी/मनोज स्वर्णकार, गोमो बाजार : गोमो स्टेशन पर अनन्या ने कहा कि डालटनगंज में पहले तो ट्रेन घंटों खड़ी रही. फिर रेलवे ने कुछ खटारा टाइप की बस दिखाकर इससे जाने को कहा. सभी यात्री उतरने लगे. कोच अटेंडेंट भी उतरने लगे. मैंने कहा कि यात्री को रांची तक पहुंचाना आप लोगों की जिम्मेदारी है, अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते हैं. बावजूद वे सुनने को तैयार नहीं थी. मैं अंदर बैठी रही. कभी रेलवे के लोग तो कभी कुछ यात्री अंदर आ कर मुझे उतारने की कोशिश करने लगे. कहा गया, जिद छोडि़ए. सिर्फ आपके लिए ट्रेन नहीं चलेगी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और साफ कह दिया कि रेलवे मुझे गंतव्य तक पहुंचाए. इसके बाद शाम में ट्रेन खुली. अनन्या का कहना था कि पूरा मामला मिस मैनेजमेंट का है. रात में एनाउंस किया गया था कि ट्रेन डालटनगंज होकर नहीं जाएगी. ट्रेन की रफ्तार, सफाई बंदोबस्त और खानपान पर भी सवाल उठाए.