Patna: पूर्व राष्ट्रपति Pranab Mukherjee नहीं रहे. बिहार के मुख्यमंत्री Nitish Kumar से उनके आत्मीय संबंध रहे. जब पहली बार प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनाए गए थे, तब ममता बनर्जी ने उन्हें समर्थन नहीं दिया था, किंतु नीतीश कुमार ने आगे बढ़कर प्रणब का सम्मान किया था. यहां तक कि साल 2017 में नीतीश कुमार बतौर राष्ट्रपति प्रणब की दूसरी पारी के लिए भी समर्थन देने के पक्ष में थे. प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति बनने के पहले से बिहार के साथ आत्मीय रिश्ता रहा. यूं कहें कि बिहार उनके लिए दूसरे घर जैसा रहा.
दोबारा राष्ट्रपति बनाए जाने के पक्ष में थे नीतीश कुमार
बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके संबंधों की करें तो यह बेहद करीबी रहे. नीतीश कुमार उन्हें 2017 में दोबारा राष्ट्रपति बनाए जाने के पक्ष में थे. हालांकि, बात नहीं बन सकी. तब नीतीश कुमार महागठबंधन (Grand Alliance) में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ सरकार चला रहे थे. कांग्रेस (Congress) और वामपंथी दलों (Left Parties) समेत कई विपक्षी दल राष्ट्रपति का संयुक्त उम्मीदवार उतारने के पक्ष में थे. उसी दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति के लिए आम-सहमति बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि इसके लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पहल करनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा था: इसके लिए केंद्र सरकार करे पहल
15 मई, 2017 को पटना में उन्होंने आम सहमति से प्रणब मुखर्जी को दोबारा राष्ट्रपति बनाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि इससे एक अच्छी मिसाल कायम होगी. मुख्यमंत्री ने कहा था कि इसके लिए पहले केंद्र सरकार पहल करे. वह सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करे. हालांकि, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केवल इतना कहा था कि फैसला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को करना है.
प्रणब मुखर्जी के लिए दूसरे घर जैसा रहा बिहार
प्रणब मुखर्जी के लिए बिहार दूसरे घर के समान था. राष्ट्रपति बनने और उसके बाद भी उनका बिहार आना-जाना कम नहीं हुआ. बीजेपी नेता नीतीश मिश्र (Nitish Mishra) के मुताबिक बिहार उनका दूसरा घर था. पिछले करीब 50 वर्षों से प्रणब से गहरे रूप से जुड़े पूर्व विधान पार्षद एमएलसी रामचंद्र भारती (Ram Chandra Bharti) के मुताबिक डॉ. जगन्नाथ मिश्र (Dr. Jagannath Mishra) जब बिहार के मुख्यमंत्री थे तो किसी बात को लेकर आलाकमान नाराज हो गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) डॉ. मिश्र को हटाना चाहती थीं. किंतु हालात ऐसे बन गए थे कि जगन्नाथ मिश्र इस्तीफा देने के पक्ष में नहीं थे. तब प्रणब ने ही बिहार आकर जगन्नाथ मिश्र को इस्तीफा देने के लिए राजी किया था. बाद में भी जगन्नाथ से उनके ताल्लुकात बने रहे. उन्होंने पटना आकर जगन्नाथ मिश्र की किताब का विमोचन भी किया था.
बिहार की कई योजनाओं व समारोहों का किया उद्घाटन
बिहार की कई योजनाओं और समारोहों का उद्घाटन प्रणब के हाथ से ही संपन्न हुआ. नीतीश ने कृषि रोडमैप का उद्घाटन भी प्रणब से ही कराया. उनके राष्ट्रपति रहते हुए बिहार में जो भी बड़े कार्यक्रम हुए, उन सबमें प्रणब को सम्मान के साथ याद किया गया. चाहे 2013 का आइआइटी पटना का दीक्षांत समारोह हो या 2017 के मार्च महीने में आद्री का कार्यक्रम अथवा चंपारण शताब्दी समारोह, जब भी उन्हें याद किया गया, आने में देर नहीं की.