Patna: कराची के जिन्ना मार्ग में 76 साल से मनाया जा रहा है गणेशोत्सव, लोग बोले- श्रद्धा और भक्तिभाव हमें सालभर की ऊर्जा दे जाता है गणपति बप्पा मोरया…
मंदिर में बड़ा पंडाल, शंखनाद करते भक्त, महाराष्ट्र की परंपरागत पोशाक में लाल चूड़ियां पहनकर महिलाओं का आरती गान आम बात है। लेकिन, यही नजारा पाकिस्तान के कराची में दिखे, तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। कराची के मोहम्मद अली जिन्ना मार्ग में रहने वाले 800 से ज्यादा महाराष्ट्रीयन परिवार सालों से गणपति उत्सव मनाते आ रहे हैं। यह उत्सव रत्नेश्वर महादेव मंदिर, गणेश मठ मंदिर और स्वामीनारायण मंदिर में होता है। इस साल भी डेढ़ दिन के लिए गणेशजी बिराजे। कराची में 76 साल पहले गणेशोत्सव की शुरुआत करने वाले कृष्णा नाईक के बेटे राजेश नाईक और उत्सव में शामिल लोग कहते हैं- ‘श्रद्धा और भक्तिभाव का यह संगम हमें सालभर की ऊर्जा दे जाता है।’
कराची के सोशल एक्टिविस्ट विशाल राजपूत कहते हैं कि उत्सव में शामिल होने मात्र से हमें इस बात का विश्वास हो जाता है कि बप्पा हमें हर तरह से सुरक्षित रखेंगे। यही वजह है कि पूरे पाकिस्तान में सबसे ज्यादा भक्तों की संख्या कराची में ही जुटती है। पेशावर और पंजाब से भी ज्यादा। विसर्जन के दौरान जुलूस भी निकलता है, लेकिन कभी काेई साम्प्रदायिक संघर्ष नहीं हुआ। मुस्लिम परिवार भी उत्सव में बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं। हां, इस बार कोरोना के कारण अतिरिक्त सावधानी बरती गई। पंडाल में मास्क और सैनिटाइजर के साथ दो गज दूरी का भी पूरा ख्याल रखा गया। कराची में हाल ही में मंदिरों को तोड़े जाने की घटना पर विशाल ने कहा कि न तो कोई मंदिर तोड़ा गया, न ही धार्मिक स्वतंत्रता पर किसी तरह की रोक लगाई गई। यहां तब भी माहाैल सामान्य होता है, जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है। कोरोना काल में व्यवस्था के संचालन में समीर और अदनान जैसे स्थानीय लोगों ने हमें पूरे दो दिन तक मदद की। आसपास के सभी लोग मिल-जुलकर ही रहते हैं।
राजेश नाईक खुद बनाते हैं मूर्ति, घर-घर भी बनती है
कराची में गणेशोत्सव की परंपरा शुरू करने वाले कृष्णा नाईक परिवार के सदस्य राजेश खुद आॅर्डर पर प्रतिमाएं बनाकर देते हैं। अब श्रद्धालु भी घर पर मूर्ति बना लेते हैं। दुबई से भी बड़े पैमाने पर मूर्तियां मंगवाई जाती हैं, लेकिन इस बार कोरोना के कारण नहीं मंगवाई गईं।
कराची के लक्ष्मीनारायण मंदिर से विसर्जन के लिए जाते श्रद्धालु।
कृष्णा नाईक ने यहां उत्सव मनाने की शुरुआत की थी