पटना के 30 बड़े निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज होगा। ये अस्पताल अब कोरोना संक्रमित मरीजों को सरकारी अस्पतालों में रेफर नहीं करेंगे। डीएम की पहल पर इन अस्पताल के प्रबंधकों ने आवेदन दिया है। हालांकि संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए इन्हें अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाना होगा। अगले एक-दो दिनों में पटना के प्रमुख बड़े प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना मरीजों का उपचार शुरू हो जाएगा।
डीएम कुमार रवि ने पटना शहर के सभी प्रमुख बड़े अस्पताल के संचालकों के साथ बैठक कर आइसोलेशन वार्ड बनाने को कहा है। दरअसल, लगातार शिकायत मिल रही थी कि प्राइवेट अस्पताल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का उपचार नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनके यहां ऐसी सुविधा नहीं है। इससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई थी। प्राइवेट अस्पताल में भर्ती यदि किसी मरीज में बीमारी की पुष्टि हो जाती थी तो प्राइवेट अस्पताल उसे सरकारी अस्पताल में रेफर कर देते थे।
मरीज बढ़ने से उपचार में हो रही थी परेशानी
इधर, सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। इसीलिए प्राइवेट अस्पतालों में भी यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है। डीएम ने प्राइवेट अस्पताल संचालकों से कहा है कि अपने-अपने अस्पताल में अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाएं तथा बेड की संख्या भी बढ़ाएं। इसके लिए प्रशासन को लिखित आवेदन दें ताकि उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार से संबंधित अनुमति प्रदान की जा सके या ऐसे प्राइवेट अस्पतालों की सूची बनाई जा सके।
अस्पताल दे रहे आवेदन
डीएम की पहल पर शहर के 30 अस्पतालों ने कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के उपचार करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में अस्पताल संचालकों की ओर से प्रशासन को आवेदन भी दिया गया है। अस्पताल संचालकों का कहना है कि आइसोलेशन वार्ड और बेड की सुविधा उपलब्ध कराने के बाद जल्द ही कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का उपचार शुरू कर देंगे।
निजी अस्पताल में उपचार का लगेगा शुल्क
हालांकि प्राइवेट अस्पतालों में लोगों का मुफ्त में उपचार नहीं होगा लेकिन प्रशासन ने किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने का निर्देश दिया है। हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार में आमतौर पर कितने खर्च आएंगे लेकिन इस विषय पर जिला प्रशासन अस्पताल संचालकों के साथ बातचीत कर रहा है। ताकि न्यूनतम खर्च पर मरीजों का उपचार हो सके।