Patna: पटना से रांची के लिए नया रेल रूट दिसंबर तक चालू हो जाएगा। इसका निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। वाया कोडरमा, बरकाकाना, हजारीबाग बन रही नई रेललाइन से पटना से रांची की दूरी 13 घंटे की बजाय 11 घंटे में ही तय हो सकेगी। पटना-रांची के बीच चलने वाली ट्रेनों को गोमो व बंगाल के झालदा नहीं जाना पड़ेगा। कोडरमा से ही सीधा हजारीबाग और बरकाकाना होते हुए ट्रेनें रांची निकल जाएंगी।
उम्मीद जताई जा रही है कि दिसंबर तक कोडरमा से रांची वाया बरकाकाना रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। इस परियोजना का करीब 90 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। पटना-रांची रेलखंड के कोडरमा स्टेशन को डेस्टिनेशन हब बनाया जा रहा है। आने वाले दिनों में कोडरमा स्टेशन रेलवे के हब के रूप में स्थापित होगा।
63 किमी का सफर बेहद रोमांचक होगा
इस 63 किमी के रोमांचक सफर में बड़े हिल स्टेशन जैसा दृश्य दिखेगा। फिलहाल मुरी के बाद पश्चिम बंगाल के कई स्टेशनों से गुजरते हुए वाया बोकारो-गोमो कोडरमा व इससे आगे तक की यात्रा के बाद ट्रेनें रांची पहुंचती हैं। रेलवे सूत्रों के अनुसार बिहार के अलावा झारखंड से ओडिशा व उत्तरी भारत जाने-आने वाली मालगाड़ियों के लिए भी इस नए रेल रूट का इस्तेमाल हो सकेगा। साथ ही रांची-मुरी-बोकारो-गोमो-कोडरमा सेक्शन का ट्रैफिक दबाव भी कम हो जाएगा।
कोडरमा-हजारीबाग-रांची रेललाइन में 3 सुरंगें
अंधेरी सुरंगों के बीच से गुजरती ट्रेन उसके बाद ऊंची पहाड़ियां और खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, यात्रियों को रोमांचकारी एहसास कराएंगे। नई रेल लाइन तीन सुरंगों से होकर गुजरेगी। सुरंगों से निकलने के बाद ट्रेन दो पहाड़ियों के बीच बननेवाले पुल से होकर गुजरेगी। पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ राजेश कुमार के अनुसार कोडरमा-बरकाकाना रेलखंड के अलावा इस्लामपुर-नटेशर नए सेक्शन पर निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है।
इस्लामपुर-नटेशर रूट का काम पूरा होते ही रांची से पटना के लिए एक और रेल लाइन का विकल्प उपलब्ध हो जाएगा। कोडरमा से एक लाइन गोमो, दूसरी हजारीबाग टाउन, तीसरी गिरीडीह होते हुए मधुपुर और चौथी गया जुड़ी हुई है। कोडरमा तिलैया से भी जुड़ जाएगा। बरकाकाना के बाद टाटी सिल्वे और सांकी स्टेशन के बीच काम फाइनल स्टेज में है। जल्द ही यह रेलखंड रांची तक जुड़ जाएगा।
दो सुरंगों का काम पूरा
- सुरंग टी वन की लंबाई 600 मीटर
- सुरंग टी टू की लंबाई 1080 मीटर
- सुरंग टी थ्री 600 मीटर
- सुरंग टी टू व टी थ्री का काम पूरा हो चुका है, जबकि टी वन का काम फाइनल स्टेज में चल रहा है।