हिस्टोरिकल फिक्शन में मची ‘ बाला सेक्टर’ की धूम, पाठकों ने बाला सेक्टर को हाथों हाथ लेना शुरु किया

हिस्टोरिकल फिक्शन में मची ‘ बाला सेक्टर’ की धूम, पाठकों ने बाला सेक्टर को हाथों हाथ लेना शुरु किया

Patna: बाला सेक्टर, आशीष त्रिपाठी का दूसरा उपन्यास है । इनका पहला उपन्यास पतरकी काफी चर्चा में रहा। बाला सेक्टर उस कालिख की कहानी कहता है जो आज से तीन दसक पहले कश्मीर में मानवता के मुँह पर पोती गयी थी और लाखों कश्मीरी बेघर हुए थे।

दरअसल बाला सेक्टर की कहानी समाज में फैले सांप्रदायिकता के उस विष की पहचान करने की कोशिश करती है जो मानव और मानवता , दोनों को मारती है । व्यक्तिगत स्वार्थ में अंधा व्यक्ति उस विष से अपनी महत्वाकांक्षा की बेल को सींचने के प्रयास में किस प्रकार एक सभ्य समाज को तहस-नहस कर देने पर उतारू हो जाता है , इस पर भी कलम खूब चली है ।

बाला सेक्टर , पी.ओ.के. में तैनात एक भारतीय जासूस की कहानी है । जिसे न सिर्फ वहाँ अपनी पहचान छुपाते हुए अपने राष्ट्रीय कर्त्तव्यों का पालन करना है अपितु अपने व्यक्तिगत दायित्वों का निर्वहन भी करना है । ऐसे में अक्सर सैनिकधर्म के आगे उसे अपने पिता , पति व पुत्र धर्म से विमुख होना पड़ता है । बाला सेक्टर एक लड़की की प्रेम कहानी है , जिसे बदले में प्रेम नहीं , महान विपत्ति मिलती है । मगर उसने विपरीत परिस्थितियों से हारना नहीं , लड़ना पसन्द किया है ।

बाला सेक्टर कहानी है पड़ोसी के कब्जे वाले कश्मीर में वहाँ की हुकूमत और उसके आतंकी आकाओं की जुगलबंदी से उपजी त्रासदी की। बाला सेक्टर की कहानी उस गरीब दंपति की है जो बेहतर जीवन की आस में गाँव से शहर की तरफ पलायन करते हैं और अंत में वे न तो शहर के हो पाते हैं और न ही गाँव के रह जाते हैं । बाला सेक्टर ऐसे गुरुओं की कहानी भी है जो एक राष्ट्रभक्त नागरिक नहीं आपितु अलगाववादी तैयार करते हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *