Patna: बिहार के एक 11 वर्षीय बालक तबारक ने अपने घायल पिता और एक आंख से दिव्यांग मां को ठेले पर बिठा कर वाराणसी से अररिया जिले के जोकीहाट ले आया. 550 किलोमीटर का सफर तए करने वाले तबारक को घर पहुंचने में नौ दिन लग गए. कई बार तो उसे पेट्रोल पंप पर रातें गुजारी पड़ी. लेकिन अपने इरादे को मजबूत कर आखिरकार तबारक अपने माता पिता के साथ घर पहुंच गया.
इस संबंध में तबारक ने बताया कि बनारस में ठेला चलाने के साथ-साथ उसके पिता मोहम्मद इसराफिल मजदूरी भी करते थे. एक दिन मजदूरी के दौरान उनके पैर पर पत्थर गिर गया जिसकी वजह से उनका पैर पूरी तरह चोटिल हो गया और काम करने से वे असमर्थ हो गए. ऐसे में लॉकडाउन में पहले से ही संकट में घिरा तबारक का परिवार बनारस में एक-एक दाने को मोहताज हो गया. कई दिनों तक कष्ट में जिने के बाद एक दिन अचानक तबारक उठा और अपने बीमार पिता और दिव्यांग मां को ठेले पर बिठाया और घर की ओर चल पड़ा.
जहां उसे ठेले पर माता-पिता को लेकर चलने में काफी तकलीफें भी हुईं. रास्ते में मिलने वाले पेट्रोल पंप पर कई रातें गुजरती थीं. इस दौरान किसी रात खाना बनता तो किसी रात कोई खाना दे जाता. नौ दिनों के सफर के बाद आखिरकार 11 साल का बच्चा तबारक अपने माता-पिता को लेकर अपने घर जोकीहाट पहुंचा. उसे परिवार समेत उदा हाई स्कूल में क्वारंटाइन कर दिया गया.
आपको बता दें कि तबारक को जोकीहाट के विधायक ने पांच हजार रुपये और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. विधायक ने बताया कि तबारक का हौसला वाकई चकित कर देने वाला है. तबारक कक्षा दो का छात्र है.