साइकिल गर्ल ज्योति के पिता का हुआ निधन, साइकिल से 1200km का सफर तय कर बीमार पिता को लाई थी गांव

साइकिल गर्ल ज्योति के पिता का हुआ निधन, साइकिल से 1200km का सफर तय कर बीमार पिता को लाई थी गांव

पटना: बिहरा के दरभंगा की रहने वाली साइकिल गर्ल ज्योति कुमारी के पिता मोहन पासवान का हार्ट अटैक से सोमवार को निधन हो गया। जिले के सिरहुल्ली गांव स्थित घर पर ही उनकी मौत हुई। पिछले साल लॉकडाउन में अपने बीमार पिता को साइकिल से गुरुग्राम से दरभंगा अपने गांव लेकर लाई थी। इसको लेकर वह देश ही नहीं विदेशों में भी छा गई थी।

आपको बता दें कि बता दें कि इसी वर्ष 25 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ज्योति कुमारी से वर्चुअल संवाद के जरिये बात की थी। साइकिल गर्ल ज्योति इस बार प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2021 से भी नवाजी जाएंगी। ज्योति ने बताया था कि उसने श्रद्धा भाव से अपने बीमार पिता की सेवा की और उनकी जान बचाने को साइकिल से घर पहुंचने का निर्णय लिया। इसमें वह सफल भी हो गईं। उसे उसके सच्ची सेवा और साहसिक कर्म का ईनाम मिला। उसने कहा कि बच्चों को अपने माता-पिता की सेवा श्रद्धा भाव से करनी चाहिए।

दरअसल पिछले साल लॉकडाउन के दौरान कोरोना राहत में ज्योति के पापा को 1000 रुपए मिले थे। उसने 1200 रुपए में एक पुरानी साइकिल के लिए पड़ोस के अंकल से बात कर ली। उन्हें 500 रुपए तत्काल दे दिए और 700 रुपए बाद में देने की बात कही। इस पर वे राजी हो गए। ज्योति ने 500 रुपए रास्ते में खाने-पीने के लिए बचाकर रख लिए। 7 मई की रात को ज्योति 1200 की साइकिल से 1200 KM की यात्रा पर निकल पड़ी। कभी साइकिल से, कभी पैदल तो कभी थोड़ी दूर ट्रक वालों से लिफ्ट लेकर 8 दिन बाद 15 मई की शाम दरभंगा के सिंहवाड़ा स्थित अपने गांव सिरहुल्ली पहुंच गई थी। ज्योति ने रोजाना 100 से 150 किमी साइकिल चलाई थी।

ज्योति शाम ढलने के बाद किसी पेट्रोल पंप पर रुक जाती थी। उसे इस दौरान बिल्कुल भी डर नहीं लगा, क्योंकि पूरे रास्ते में लोगों की भीड़ रहती थी। देखकर राहगीर चौंकते, लेकिन कोई क्या कर सकता था। सब मुसीबत के मारे थे। सबको किसी तरह घर पहुंचना था। बहुत-से लोग पेट्रोल पंप पर ठहरते थे। ज्योति वहीं फ्रेश होती और अगली सुबह फिर से बीमार पिता को साइकिल पर बैठा कर निकल पड़ती थी।

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