Patna: महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) चुनाव के ठीक पहले एक बार फिर पाला बदल की तैयारी में हैं. इसके अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) हैं, जो पिछले लंबे समय से महागठबंधन (Grand Alliance) में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाकर गरम-नरम होते रहे हैं. अब अनुसूचित जाति वर्ग के ही श्याम रजक (Shyam Rajak) के जनता दल यूनाइटेड (JDU) से बाहर होने पर मांझी को जेडीयू में अपने लिए रास्ता साफ नजर आ रहा है. गुरुवार को वे अपने पत्ते खोलेंगे. जेडीयू अभी बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का प्रमुख सहयोगी दल है.
पांच-सात वर्षों से अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे मांझी
मांझी पिछले पांच-सात वर्षों से प्रदेश की राजनीति में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. इन वर्षों में उन्हें अब तक कोई स्थायी ठौर नहीं मिली. फिलहाल उनका ठिकाना महागठबंधन (Mahagathbandhan) है, लेकिन अब वे इससे भी मुक्त होने की तैयारी में हैं. इसकी असली वजह उनकी उपेक्षा है. ऐसा आरोप वे खुद लगाते हैं. मुद्दा समन्वय समिति (Coordination Committee) का हो या फिर लोकसभा या विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे का, उन्हें लंबे समय से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेतृत्व से शिकायत रही है.
महागठबंधन को अलविदा कह जेडीयू के साथ शुरू करेंगे नई पारी
चर्चा है कि मांझी महागठबंधन को अलविदा कह जेडीयू के साथ नई पारी की शुरुआत करेंगे. श्याम रजक (Shyam Rajak) के आरजेडी में चले जाने के बाद से जेडीयू में मांझी को अपने लिए ज्यादा संभावनाएं नजर आ रही हैं. अब सवाल यह कि मांझी अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय करेंगे या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में साझीदार बनेंगे. हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान विलय की चर्चाओं को खारिज कर रहे हैं.
मांझी को उम्मीद मिलेंगीं कम से कम पांच सीटें
मांझी को उम्मीद है कि जेडीयू के साथ जाने से उनकी पार्टी को विधानसभा चुनाव में कम से कम पांच सीटें मिल सकती हैं. जदयू और बीजेपी के वोट बैंक के सहारे वे उन सीटों पर जीत की संभावना देख रहे हैं. इन तमाम चर्चाओं के बीच गुरुवार को हम की कोर कमेटी की बैठक है, जिसमें पार्टी नेताओं के साथ मांझी विचार-विमर्श करेंगे. बहुत संभव है कि उसके बाद अपने पत्ते सार्वजनिक करें.